Monday, 1 January 2018

हमें ही पाओगे






जहा ही जाओगे हमें ही पाओगे,
क्योंकि में बना ही हु तुम्हारी निगाहोमे,
कहि कूड़ा गाड़ी तो कही हे मोबाइल टॉयलेट,
पर मुझे तो इस सड़क पर ही पाओगे।

सलीमने मुर्गी पकाई,सविताने सब्जिया काटी,
युवाननो पान खाया, फेका, थूका तो मुझे काले बालोपे।
नदी सागर और नहर का तो सवाल ही नही होता,
में आकाश में भी खुला उड़ता ही पाओगे ।

सरकार भी बहोत कौशीश कर रही हे मुझे हटाने की,
उस का निशान ही कमल हे और कमल ही मेरा फूल है।
हाथ में जाडू लेने से में नही जाउगी,
अगर दम हे तो लोगों के दिमाग से हटाओ तो ही में जाउगी।

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