हमारा दिल कितना तड़पता है तुम्हारे बिना,
कैसे कटे ये एग्जाम के दिन मेसेज के बिना,
आप तो बस बे-जान बन कर पढ़ती रही, और
हम तुम्हारी यादो के चिंगारो पर जलते रहे।
हमे तो लगा की आप पढ़ रही हो रात-दिन मोबाइल के बिना,
पर आप तो पढ़ती भी रही और मेसेज करती भी रही हमारे बिना..!!,
हमने सुना हे की आप मेसेज भी करती हो,
तो हमारा क्या दोष के आप हमको भूल गए हो...!! ।
इसे हम बेवफा समजे के वफ़ा जरा गौर कर दो,
अगर इसका जवाब बेवफा हे तो हमारा दोष कह दो,
वफ़ा हम कैसे समजे ! इसका भी उत्तर दे ही हो,
क्या कमी थी हमें में और उसमे जरा हमको भी कह दो।
हम तो मोत और जिंदगी से लड़ते रहे,
पर अब लगता हे मोत ही जीतेगी इस जंग में,
'मेहुल' एक टुटा हुआ लड़का हे उसको संभालो,
बस बहोत हो गए मरम्मत अब तो टूटने ही दो।
MD
28 Nov 2017
"ખામોશી" is relevant for this poem title i hope so you liked this title ☺
ReplyDeleteThank you
DeleteThis comment has been removed by the author.
DeletePrem ni Vedna
ReplyDeleteThank you so much for suggest me
DeleteI have also one poem which title is 'Prem Vedna'
Thank you.
DeleteI have also one poem, which title is 'Dil ni vedna'.
By d way nice one ... "Digital love"..
ReplyDeleteNice.
DeletePyarki paribhasa
ReplyDeleteThank you mahesh.
DeleteNice
betrayed love
ReplyDeleteThank you Little Uvi..
DeleteNice.