Sunday, 29 July 2018

तुम पे मरने लगे





हुआ आज कुछ ऐसा सब कुछ देखने लगे,
दिल तोहरा देख कर दिल से मुस्कारने लगे,
मिल कर न जाने हम मन ही मन प्यार कर बेठे,
तुम्हारा तो पता नही पर हम दिल से चाहने लगे।

पहेली मुलाक़ात न जाने क्या रंग लाएगी,
जो भी लाएगी पर हम तुम पर मरते है,

प्यार से रूठा हुआ सा था मेरा दिल, 
बहुत ही नाजुक हो गया था मेरा दिल।
किसी को चाहने की हिमत नही थी
फिर भी तुमसे मिलकर फिर से जी उठे हम।

कुदरत का करिश्मातो देखो यारो,
जिस से रहता था बहुत ही दूर,
आज वही मेरी उदासी का कारण बने,
दिल तो चाहता है छोड़ दू सारी माया जहां से।

शायद तुम्हे लगता है में मर जाऊँगा,
तुम्हे लगता है में नही जी सकुगा,
प्यार किया है दुनिया नही छोड़ी है,
बदलेगी जरूर मेरी जिंदगी में शायद,
बस थोड़ी जीने की वजा और मेरी सिद्धि,

मेहुल आज दिल खोल रहा है तुम सब के साथ,
मत उड़ाएगा मजाक उसके साथ, 
दिलकी बाते कलम करे वही सही,
मेहुल ना कर सके तुम्हारे पास,
दिल है तो जरूर समज में आ जायेगी,
वरना काले अक्षर सर्फ काले बादल कह लाएगी।


मेहुल डोडिया
29 July 2018
©mehul_dodiya

1 comment:

  1. अच्छा जी बहुत बढिया कविता है अगर यह सही है फिर तो बड़ी बात हो गई ओर अगर कविता है तो भी बहोत बड़ी बात हो गई है ... आपके tenor! .... बहोत बढ़िया भाया!!!!😍👌👌👌👌

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