Wednesday, 28 February 2018

काले बादल

              Recently, I wrote a poem. It title is 'काले बादल'. This Poem I dedicate to my Lovely Friend Mahirpari Goswami. In this poem I wrote Both name, Some special kind of key words etc. I Would like share with you.



काले बादल गरजते रहे और तड़पते रहे,
अपनी बिजली से दुसरो पर बरसते रहे,
लोगोने मुझे जानने की कैशिश भी नही की,
साधू बन कर हम अपना पागल पन दिखाते रहे,

हमतो हार बेठे अपनी जिंदगी और विवेचक बनते रहे,
प्यार सीखाने वाले को हम सदीओ से ढूंढते रहे,
हमतो सोच रहे थे की हमारा कुछ नही हो सकता,
उस काले बदलो के बिच एक कबूतर दिखाई दिया,



उसके साथ उड़ने में हो गया माहिर,
और प्यार के पन्ने में मेरा नाम दिखाई दिया,
न जाने कहा से आया एक तूफान जिंदगी में,
मुझे और उस प्यारी जान को बिखर के रख दिया,

वो तो परदेस बन की भूल गई हमको,
और उसने हमें वही डोर पर ला के खड़ा कर दिया,
प्यार किया हमने कैसे भूल सकते हम,
वो बेवफा ने हमें तड़पन में धकेल दिया,

हम तो जी लेगे जिंदगी तुम्हारे प्यार के बल पर,
 तुम भी तड़प उठोगी हमारी बे-जान ख़ुशी देख कर।।

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સૌરઠ તણા કુંડલેથી ગોહિલવાડમાં આયજો,
ભૂમિ પાવન એવા કૃષ્ણકુમારસિંહજી પ્રણામહો,
રહિયો મુસાફિર એટલો મનમાં મુંજાય જો,

બાવાની તો લત લાગી માહિર તેના નામ હો ..

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💐M.D💐         
28 Feb 2018      

River and tide

Andy Goldsworthy makes sense-luscious sculptures entirely out of things he finds in nature — stones, twigs, leaves, plant stalks, cl...